यूरो-ऑन्कोलॉजी यह ऑन्कोलॉजी का एक विशेष विभाग है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों में मूत्र मार्ग (यूरिनरी ट्रैक्ट) के कैंसर के साथ-साथ पुरुष प्रजनन अंगों के ट्यूमर पर केंद्रित है।
यूरो-ऑन्कोलॉजी, जिसे यूरोलॉजिकल ऑन्कोलॉजी के रूप में भी जाना जाता है, यह ऑन्कोलॉजी का एक विशेष विभाग है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों में मूत्र मार्ग (यूरिनरी ट्रैक्ट) के कैंसर के साथ-साथ पुरुष प्रजनन अंगों के ट्यूमर पर केंद्रित है।
इस विभाग में यूरोलॉजिकल कैंसर के मरीज़ों के जोखिम का मूल्यांकन, रोकथाम, जांच, निदान, उपचार और उपशामक देखभाल शामिल है।
अधिवृक्क (अड्रीनल) कैंसर एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है जो अधिवृक्क (अड्रीनल) ग्रंथियों में बनता है, यह त्रिकोणीय ग्रंथियां होती हैं जो दोनों किडनी के उपर स्थित होती हैं। प्रांतस्था (कॉर्टेक्स) और मज्जा (मेडूला) यह अधिवृक्क (अड्रीनल) ग्रंथियों के दो भाग हैं, और अधिवृक्क (अड्रीनल) कैंसर आमतौर पर प्रांतस्था (कॉर्टेक्स) में बनता हैं।
जब मूत्राशय (ब्लैडर) की परत में मौजूद कोशिकाएं (सेल्स) असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं तब मूत्राशय (ब्लैडर) कैंसर होता है । मूत्र में रक्त की मौजूदगी यह मूत्राशय (ब्लैडर) के कैंसर के शुरुआती लक्षणों में से एक है। मूत्राशय (ब्लैडर) कैंसर महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक आम है।
किडनी कैंसर अक्सर रीनल कैंसर के रूप में भी जाना जाता है, किडनी कैंसर एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है यह तब होता है जब किडनी में मौजूद कोशिकाएं (सेल्स) अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं। धूम्रपान किडनी के कैंसर के जोखिम कारकों में से एक है। यदि जल्दी निदान हो जाए, तो किडनी के कैंसर का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है।
प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर भारतीय पुरुषों में होने वाले आम कैंसर में से एक है। जब प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) ग्रंथि की कोशिकाएं (सेल्स) अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं तब प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर होता है । नियमित जांच के माध्यम से प्रारंभिक अवस्था में ही इसका निदान किया जा सकता है और यह अत्यधिक उपचार योग्य कैंसर में से एक है।
जब अंडकोष या वृषण (टेस्टिकल) में मौजूद कोशिकाएं (सेल्स) अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं तब वृषण (टेस्टिकुलर) कैंसर होता है । यह दुर्लभ प्रकार के कैंसर में से एक है, और यह 15 से 45 साल की उम्र के पुरुषों में अधिक आम है। प्रारंभिक अवस्था में पता चलने पर वृषण (टेस्टिकुलर) कैंसर का सकारात्मक नैदानिक परिणामों के साथ इलाज किया जा सकता है।
यह एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है जो तब होता है जब मूत्रमार्ग (एक ट्यूब जिसके माध्यम से मूत्र को शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है) में मौजूद कोशिकाएं (सेल्स) असामान्य रूप से विभाजित होने लगती हैं। शुरुआत में, मरीज़ में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते है; हालाँकि, जैसे-जैसे रोग बढ़ने लगता है, मरीज़ को पेशाब से संबंधित समस्याएँ हो सकती हैं।
शिश्न (पेनाइल) कैंसर दुर्लभ कैंसर में से एक है, और जिन पुरुषों का खतना नहीं किया है उनमें इस प्रकार का कैंसर अधिक आम होता है। दिर्घकालिक एचपीवी संक्रमण भी शिश्न (पेनाइल) कैंसर के लिए एक जोखिम कारक होता है। अगर शिश्न (पेनाइल) कैंसर का पता शुरुआती चरणों में चल जाता है तो इसका इलाज सबसे अच्छी तरह किया जा सकता है । मरीजों को अंग के रंग, संरचना में किसी प्रकार का बदलाव और अंग पर किसी भी प्रकार के घावों के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है, क्योंकि ये शिश्न (पेनाइल) कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।
सकारात्मक नैदानिक परिणामों के साथ इलाज के लिए, यूरोलॉजिकल कैंसर का प्रारंभिक अवस्था में निदान किया जाना चाहिए। कुछ यूरोलॉजिकल कैंसर शुरुआती लक्षण पैदा करते हैं, और उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
यूरोलॉजिकल कैंसर से जुड़े कुछ प्राथमिक लक्षणों में मूत्र में रक्त आना, पेशाब से संबंधित समस्याएं, पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना, असामान्य स्राव होना, गांठ की उपस्थिति, बढ़े हुए लिम्फ नोड्स के कारण सूजन आदि शामिल हैं।
यूरोलॉजिकल कैंसर के निदान के लिए विशेषज्ञों द्वारा कई परीक्षणों की सिफारिश की जाती है।
प्रारंभ में, जब कोई मरीज़ अपने बारें में यूरोलॉजिकल कैंसर के लक्षणों को बताता है, तो डॉक्टर एक त्वरित शारीरिक परीक्षा आयोजित करते है और मरीज़ के चिकित्सा इतिहास पर ध्यान देते है। जांच करने पर, यदि डॉक्टर को कैंसर का संदेह होता है, तब वे अतिरिक्त परीक्षणों की सिफारिश कर सकते है।
ट्यूमर की उपस्थिति के लिए मूत्राशय (ब्लैडर) और मूत्रवाहिनी की जांच करने के लिए सिस्टोस्कोपी या यूरेटेरोस्कोपी की सिफारिश की जा सकती है। इन प्रक्रियाओं के दौरान, मूत्र मार्ग (यूरीनरी ट्रैक्ट) की जांच करने के लिए एक पतली ट्यूब जिसमें प्रकाश स्रोत और वीडियो कैमरा लगा होता है, मूत्रमार्ग (यूरेथ्रा) के माध्यम से अंदर डाली जाती है।
पीएसए परीक्षण जैसे विशिष्ट रक्त परीक्षण, प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर का पता लगाने में मदद कर सकते हैं। किडनी के कार्यों की जांच के लिए भी रक्त परीक्षण की सिफारिश की जा सकती है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सिर्फ प्रयोगशाला परीक्षणों के साथ निश्चित निदान पर पहुंचने का कोई संभव तरीका नहीं है, और निर्णायक निदान तक पहुंचने के लिए अतिरिक्त परीक्षणों की सिफारिश की जा सकती है।
यूरोलॉजिकल कैंसर के निदान, स्टेजिंग और निगरानी के लिए इमेजिंग टेस्ट की सिफारिश की जा सकती है। आमतौर पर सिफारिश किए जाने वाले इमेजिंग परीक्षणों में अल्ट्रासाउंड स्कैन, पेट स्कैन, सीटी स्कैन और एमआरआई स्कैन शामिल हैं। मरीज़ों द्वारा दिखाई गई उपचार की प्रतिक्रिया का अध्ययन करने के लिए इनमें से कुछ इमेजिंग परीक्षण यूरोलॉजिकल कैंसर के पूरे उपचार के दौरान करने की भी सिफारिश कि जा सकती हैं।
बायोप्सी के दौरान, संदिग्ध क्षेत्र से ऊतक की एक छोटी मात्रा को सावधानीपूर्वक इकठ्ठा किया जाता है और कैंसर कोशिकाओं (सेल्स) की उपस्थिति के लिए माइक्रोस्कोप के तहत उनकी जांच की जाती है। कैंसर से प्रभावित अंग के आधार पर, बायोप्सी को एंडोस्कोपिक या शल्य चिकित्सा द्वारा किया जा सकता है।
कई कारक जैसे ट्यूमर का चरण, इसका ग्रेड, मरीज़ की उम्र, उसकी कुल स्वास्थ्य स्थिति और उसकी प्राथमिकताएं, आदि पर विचार करने के बाद विशेषज्ञ यूरोलॉजिकल कैंसर के लिए उपचार योजना तैयार करते हैं।
यूरोलॉजिकल कैंसर के लिए उपलब्ध प्राथमिक उपचार विकल्पों में सर्जरी, विकिरण चिकित्सा (रेडिएशन थेरेपी) और कीमोथेरेपी शामिल हैं। कुछ उन्नत-चरण के यूरोलॉजिकल कैंसर और ऐसे कैंसर जो पारंपरिक उपचार के तरीकों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाते हैं (प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर), उनका उपचार हार्मोन थेरेपी इम्यूनोथेरेपी और लक्षित चिकित्सा (टार्गेटेड थेरेपी) के साथ किया जा सकता है।
यूरोलॉजिकल कैंसर के प्रबंधन के लिए डॉक्टर या तो ओपन या मिनिमली इनवेसिव (कम से कम चिरफाड वाले) सर्जिकल तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं। लैप्रोस्कोपिक और रोबोटिक सर्जरी यह दो मिनिमली-इनवेसिव (कम से कम चिरफाड वाले) दृष्टिकोण हैं जिनका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
मूत्राशय (ब्लैडर) के कैंसर के मामले में, मरीज़ के लिए मूत्र को शरीर से बाहर निकालने के लिए एक वैकल्पिक मार्ग बनाया जाना चाहिए। ऐसे मामलों में, सर्जन एक रंध्र (स्टोम) बना सकते है, जो एक कृत्रिम ओपनिंग होता है जिसके माध्यम से मूत्र पास होता है। सर्जन एक नियोब्लैडर का पुनर्निर्माण (रिकन्स्ट्रक्शन) भी कर सकते है, जिसमें छोटी आंत के एक हिस्से का उपयोग मूत्राशय (ब्लैडर) के निर्माण के लिए किया जाता है, जिसे बाद में मूत्रमार्ग (यूरेथ्रा) से जोड़ा जाता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से, मरीज़ उपचार के बाद सामान्य रुप से पेशाब कर सकेंगे।
वृषण (टेस्टिकुलर) और शिश्न (पीनाइल) के कैंसर के लिए, ऐसे विकल्प हैं जिनमें मरीज़ अंग पुनर्निर्माण (रिकन्स्ट्रक्शन) सर्जरी करवा सकते हैं जिससे कैंसर प्रभावित अंग की संरचना को बहाल करने में मदद मिलती है।
कुछ मामलों में जहां कैंसर प्रारंभिक अवस्था में होता है या यदि मरीज़ उम्र या किसी अन्य परिस्थितियों के कारण सर्जरी कराने में सक्षम नहीं है, तो डॉक्टर 'वॉचफुल वेटिंग' या 'एक्टिव सर्विलांस' की सिफारिश कर सकते हैं। 'वॉचफुल वेटिंग' और 'एक्टिव सर्विलांस' के दौरान, कुछ परीक्षणों की मदद से मरीज़ की नियमित रूप से निगरानी की जाती है, और यदि बीमारी बढ़ जाती है तभी उपचार प्रदान किया जाता है। ये दृष्टिकोण मरीज़ों के बीच जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखने में सहायता करते हैं।
एचसीजी में, कैंसर के अन्य प्रकारों की तरह ही, यूरोलॉजिकल कैंसर का भी बहु - आयामी टीम -आधारित दृष्टिकोण के साथ इलाज किया जाता है। हमारी बहु - आयामी टीम में सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, रोबोटिक सर्जन, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट और रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट के साथ-साथ दर्द प्रबंधन विशेषज्ञ और ऑन्को-डाइटिशियन शामिल हैं - सभी मिलकर यह सुनिश्चित करते हैं कि मरीज़ को सहानुभूतिशील चिकित्सा देखरेख और देखभाल प्रदान की जाए।
हमारे विशेषज्ञ मरीज़ों को मरीज़ - केंद्रित और व्यक्तिगत देखभाल प्रदान करने को अत्यधिक महत्व देते हैं। हम सभी प्रकार के यूरोलॉजिकल कैंसर के निदान और उपचार के लिए उन्नत तकनीकों और ग्राउंड-ब्रेकिंग प्रोटोकॉल का उपयोग करते हैं।
एचसीजी नेटवर्क में बडी संख्या में यूरो-ऑन्कोलॉजिस्ट हैं जो अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं और विभिन्न यूरोलॉजिकल कैंसर के निदान, उपचार और प्रबंधन में अत्यधिक अनुभवी हैं। एचसीजी में यूरो - ऑन्कोलॉजी विभाग नवीनतम तकनीक वाली सुविधाओं से सुसज्जित है और यूरोलॉजिकल कैंसर के प्रभावी प्रबंधन के लिए सुरक्षित और सटीकता पूर्वक उपचार दृष्टिकोणों को नियोजित करता है, मुख्य रुप से मिनिमली इनवेसिव (कम से कम चिरफाड वाली) सर्जरी, रोबोट-असिस्टेड सर्जरी, कीमोथेरेपी, विकिरण चिकित्सा (रेडिएशन थेरेपी), इम्यूनोथेरेपी, लक्षित चिकित्सा (टार्गेटेड थेरेपी), आदि ।
एचसीजी में प्रदान की जाने वाली प्रमुख उपचार सेवाओं में शामिल हैं:
इन उपचार विकल्पों के साथ साथ, हमने प्रजनन संरक्षण कार्यक्रम भी उपलब्ध कराए हैं क्योंकि कुछ प्रकार के कैंसर उपचार मरीज़ की प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।